गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

हमारी प्राण शक्ति क्या है? यह शक्ति हमें कहाँ से प्राप्त होती है? क्या हमारे प्राण-गिने चुने ही होते हैं या ईश्वर ने हमें जितने प्राण दिए हैं हम उनकी गिनती तक ही इस धरती पर जीवित रहते हैं?

हमारी प्राण शक्ति क्या है? 
यह शक्ति हमें कहाँ से प्राप्त होती है?
 क्या हमारे प्राण-गिने चुने ही होते हैं या ईश्वर ने हमें जितने प्राण दिए हैं, हम उनकी गिनती तक ही इस धरती पर जीवित रहते हैं? 

आपने यह तो सुना ही होगा कि 'जीवन है चलने का नाम' जब तक जीवन रूपी गाड़ी चलती रहती है, तब तक हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता है और चुस्त भी l कभी कभी जीवन रूपी गाड़ी में ठहराव भी आते हैं, परन्तु वे ठहराव कुछ ही देर के लिए होते हैं l उन ठहराव में भी हम सब गतिमान होते हैं- कार्यशील होते हैं l कार्य बस उस समय दिमागी हो जाता है मेन्टल लेवल का हो जाता हैl 

साधारण सा सच तो आप सब जानते ही हैं कि जब तक हमारी सांस चल रही होती है तो हम ज़िंदा है, श्वाश रुकने पर क्या होता है, यह सब आप जानते ही हैंl 

अब प्रश्न उठता है कि: हमारी प्राण शक्ति क्या है? यह शक्ति हमें कहाँ से प्राप्त होती है? क्या हमारे प्राण-गिने चुने ही होते हैं या ईश्वर ने हमें जितने प्राण दिए हैं हम उनकी गिनती तक ही इस धरती पर जीवित रहते हैं? 

सबसे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि क्या हमें गिनती के ही प्राण ईश्वर के द्वारा पहले से ही निश्चित किये हुए हैं ? जब तक किसी के प्राणो की संख्या ईश्वर के द्वारा दिए हुए प्राणो की संख्या के बराबर न आ जाये क्या तब तक उस व्यक्ति का शरीर मरेगा ही नहीं? 

इतनी बात तो सच है कि जब तक इंसान के सांस अथवा प्राण चल रहे होते हैं , तब तक वह इंसान जीवित हैl प्राण शक्ति समाप्त तो इंसान का शरीर भी मृत l अब रही बात प्राणों की गिनती की--यह एक एक विश्वाश है बहुत से लोगों का हैl इस विश्वाश का एक बहुत बड़ा फायदा भी है कि इंसान का ईश्वर में विश्वाश बढ़ता है और उसमें समर्पण कि भावना दृढ अथवा मजबूत हो जाती हैl

 परन्तु नुक्सान यह है कि इंसान यह भी सोचने लगता है कि बीमारी से या किसी दूसरे कारण से उसे मौत नहीं आ सकती l वह बिमारियों के प्रति और किसी अन्य खतरे के प्रति उदासीन और लापरवाह हो सकता है l 

ज़रा सोचिये कि कोई व्यक्ति बीमार है और यह कहता है कि उसकी मृत्यु बीमारी के कारण नहीं, बल्कि उसके साँसों की गिनती के कारण होगी....इस वजह से वह अपनी बीमारी का इलाज-उपचार ही नहीं कराता l तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के लिए आप क्या कहना चाहेंगे? क्या उसकी मृत्यु इस लिए हुई कि उसके प्राणों की गिनती समाप्त हो गयी थी? या इस लिए बीमारी ने उसके शरीर के मुख्या अंगो को बेकार कर दिया था, इस लिए उसका मशीन रूपी शरीर काम करना बंद कर गया l

 इस तरह से इंसान असावधानियाँ और गलतियां कर बैठता है और मृत्यु का ग्रास बन जाते हैl

Mental Health Awareness

Mental health refers to a person's psychological, emotional, and social well-being. It encompasses various aspects of life including ho...