Welcome to "Nurturing Minds," a transformative blog dedicated to exploring the intricacies of mental health and guiding you toward holistic well-being. With compassion, understanding, and evidence-based insights, we aim to empower individuals like you to navigate mental health challenges and discover the paths that lead to personal growth and fulfillment. Our blog delves into a wide range of topics, shedding light on various aspects of mental health and providing practical
गुरुवार, 22 सितंबर 2022
शनिवार, 14 मई 2022
बुधवार, 13 अप्रैल 2022
गुस्सा क्या होता है? What is Anger? Is Anger Natural to Us?
गुस्सा क्या होता है? What is Anger?
कहते हैं कि गुस्सा तो एक चींटी को भी आ जाता हैl
कहने का तात्यपर्य यह है कि गुस्सा एक सामान्य प्रतिकिर्या है, जो हम सब अपने जीवन में लगभग प्रतिदिन अनुभव करते हैंl
गुस्से की भावना एक तीव्र भावना तो होती ही है, यह अत्यधिक नकारात्मक आवेशयुक्त भी होती है l इस लिए यह भावना गुस्सा करने वाले व्यक्ति को और जिसके प्रति गुस्सा प्रकट किया जा रहा है, उस व्यक्ति को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैl
यह कहा जाता है कि गुस्सा एक ऐसी भयंकर अग्नि है, जो किसी भी व्यक्ति के शरीर को एक सुलगती हुई भट्टी के समान बना देती है और वह गुस्से की अग्नि न केवल इंसान के अपने शरीर को नुक्सान पहुँचाती है, बल्कि उस व्यक्ति को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है जिस पर गुस्सा प्रकट किया जाता है l
इस लिए गुस्से के कुप्रभाव से जितना अधिक बचा जा सकता है बचना चाहिएl
गुस्से के शिकार कौन लोग होते हैं?
यदि गुस्से की भावना को गहराई
के साथ समझा जाये तो यह देखने में आता है कि गुस्से के शिकार अधिकतर वही लोग होते हैं, जिनका उस बात से कोई लेना
देना नहीं होता जिसके कारण कोई व्यक्ति उन पर अपना गुस्सा झाड़ रहा होता हैl
जैसे कि यदि एक मीटिंग में
आपके बॉस पर आपकी Company के किसी सीनियर ने गुस्सा किया तो अब आपका बॉस उस गुस्से
को आपके ऊपर या किसी और पर निकलेगाl
वह इसी तलाश में रहेगा कि कब
उसे आपकी या किसी और की कोई छोटी सी गलतो हाथ लग जाये ताकि वह अपना गुस्सा बाहर निकाल
सकेl
खुशकिस्मती से अगर आप बच गए
तो अब बॉस का गुस्सा अपने परिवार के किसी व्यक्ति पर निकलेगा चाहे हो उसकी पत्नी या बच्चे ही क्यों न होंl
क्या गुस्सा हमारी प्रकृति है? Is Anger Natural to
Us?
क्या आप जानते हैं कि गुस्सा
हमारे व्यक्तित्व का प्राकृतिक हिस्सा नहीं है? जब इंसान एक बच्चे के रूप में पैदा
होता है तो उस वक़्त उसे गुस्से के बारें में कुछ भी नहीं पता होताl
उस समय उसमे कुछ-एक आधारभूत
एवं आवयश्यक भावनाएं तथा प्रतिकिर्याएँ एक उपहार स्वरूप पहले से मौजूद होतीं हैं जैसे
कि भूख महसूस करना, रोना और कुछ अन्य प्राकृतिक किर्याएँ...l
मानवीय शरीर को अपने एक मोबाइल
फ़ोन के हार्डवेयर के रूप में समझने का प्रयत्न
कीजियेl
जब आपने वह मोबाइल फ़ोन किसी
दुकान से बिलकुल नया खरीदा था तो उसमें कुछ ज़रूरी ऍप्लिकेशन्स अवश्य ही डाल कर दी गयीं होंगीl
क्या हम अपने मोबाइल फोन में अपनी इच्छा अनुसार कुछ एप्लीकेशन डाउनलोड नहीं करते ? और यह एप्लीकेशन हमारे लिए फायदेमंद भी हो सकती है और नुकसानदेय भी हो सकते हैं l
इसी प्रकार से हम अपने माइंड में बहुत से नकारात्मक विचार भरते रहते हैं और उन पर अमल भी करने लग जाते हैं l
बार-बार एक ही प्रकार के विचार पर अमल करके हम उसे अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बना लेते हैंl
दोस्तों गुस्सा भी हमारे व्यक्तित्व का भाग बन जाता है जब हम इस नकारात्मक भावना को पालते हैं, पोसते हैं और इसका प्रयोग अर्थात इस्तेमाल बार-बार करते हैं l
जब बच्चा मुश्किल से 1 या 2 वर्ष का होता है तभी से वह अपना गुस्सा दूसरों को दिखाना शुरू कर देती हैl
अक्सर देखने
में आता है कि माताएं का झगड़ा पति से होता है या अपनी सासू मां से होता है तो वे अपने बच्चों पर उस गुस्से का जाने अनजाने मैं इजहार करती हैं, प्रयोग करती हैं l
उस समय बच्चे का मस्तिष्क बहुत ही मासूम होते हैं, जो सभी प्रकार की बातों को अपने दिमाग में बिठा रहा होता हैl
जो देखता है, सुनता है वह सब कुछ उसके मस्तिष्क में रिकॉर्ड होता चला जाता है और धीरे-धीरे वे सब बातें सकारात्मक हो या नकारात्मक उसके अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनती चली जाती हैंl
उस वक्त बच्चे को नहीं पता होता कौन सी बात उसके लिए नुकसानदे है; कौन सी बात उसके लिए फायदे में फायदेमंद है और धीरे-धीरे वह वास्तविक जीवन में उन सब बातों को क्रियान्वित करके भी देखता हैl
इस प्रकार से आने वाले वर्षों में बच्चा पूर्ण मानव में विकसित हो जाता हैl
इसी संदर्भ में दुनिया William Wordsworth ने कहा है: ‘The child is the father of man.’
‘द चाइल्ड इस द फादर ऑफ मैन’
बच्चा अपने बचपन में जिस प्रकार से इंप्रेशंस संजो रहा होता है, उन सब इम्प्रेशंस के आधार पर बच्चे का व्यक्तित्व विकसित होता है l
बड़ा होकर बच्चा वही बनता है जो कुछ उसने अपने बचपन में बाल्यावस्था में देखा है सुना हैl
जब माता-पिता में आपस में झगड़ा हो रहा होता है या परिवार के साथ किसी विषय पर बहस हो रही होती है या माता अपने अन्य बच्चे को दंडित कर रही होती है, तो बच्चा बहुत ही गौर से यह सब बातें देख रहा होता हैl
उसे लगने लग जाता है कि यदि अपनी बात मनवानी है तो सामने वाले पर गुस्सा दिखाएं या उसे दंडित करेंl
यह सब करके परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैंl
तो बच्चा जाने अनजाने में गुस्से को अपना हथियार बना लेता हैl
आपने देखा होगा कि बच्चा जब एक या दो वर्ष
का ही होता है तो वह अपने गुस्से का प्रयोग करना शुरू कर देता हैl
यह एक सामान्य सच्चाई है कि लोगों को जो कुछ उनकी बाल्यावस्था में मिला है, वही सब वे लोगों को वापस करना चाहते हैं l
यदि उन्हें अपने जीवन में ढेर सारा प्यार मिलता है तो प्यार बांटते हैं, यदि उनके जीवन में नफरत और तिरस्कार इत्यादि मिले हैं तो स्वाभाविक रूप से वे इन सब नकारात्मक बातों को अन्य लोगों को देना शुरू कर देते हैंl
कहते हैं कि हिटलर का बाल्यकाल बहुत ही बुरा गुजरा था, इसी कारण उन्होंने मानवता पर अत्याचार किएl
इन सब बातों को देखते हुए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को एक आदर्श वातावरण प्रदान करें ताकि वे बड़े होकर एक अच्छे इंसान बन सकेl
Mental Health Awareness
Mental health refers to a person's psychological, emotional, and social well-being. It encompasses various aspects of life including ho...
-
उत्पादकता, मानसिक स्पष्टता और समग्र कल्याण के लिए अपने दिमाग को शांत और केंद्रित रखना आवश्यक है। इसे हासिल करने के लिए आप यहां कई रणनीतियां...