बुधवार, 13 जुलाई 2016

अपने वक्तित्व को समझिए! Understand Your Personality!

क्या आपनेअपने आप को समझने का प्रयत्न कभी किया है?
यदि  नहीं तो कृपया ऐसा अवश्य कीजिये l
हम अक्सर दूसरों के ही बारे में सोचते हैं और उनके ही व्यक्तित्व के बारे में अपना मूल्यांकन करते रहते हैंl
इस मूल्यांकन का हमें इतना लाभ नहीं होता  जितना हमें अपना मूल्यांकन करने से होता हैl
यदि हम अपने आप को समझ लें तो हम अपनी कमियों को दूर कर सकते हैं, स्वयं में सुधार कर सकते हैं l
यदि हम स्वयं को परफेक्ट अथवा पूर्ण मानते हैं तो यह हमारी भूल हैl
इस संसार में कुछ भी पूर्ण नहीं हैं ; कुछ भी पूर्ण सत्य नहीं है सिवाय परमात्मा केl
पहला चरण यही है कि हम स्वयं को अधूरा मान लें और अपनी कमियों को ढूढ़ने का प्रयत्न   करेंl 
अपनी कमियों को ढूढ़ने का मैं आपको सरल उपाय बताता हूँ l
जिन व्यकित्वों की मैं अब बात करूँगा, आप केवल यह पहचानने का प्रयत्न  कीजिये कि उनमें से आप कौन से हैंl
कृपया आप यह भी मान कर चलिए कि सब को सब कुछ कभी नहीं मिल सकता; किसी किसी वस्तु की कमी आपके जीवन में अवश्य रहती हैंl
यदि संतोष और सब्र आपके पास है तो समझ लीजिए की दुनियां का सबसे बड़ा खजाना आप के पास हैl

 कुछ व्यक्ति (महिला या पुरुषऐसे होते हैं जो स्वयं को दया का पात्र बनl कर रखना कहते हैं; उन्हें इसी स्थिति में सुकून या चैन मिलता हैl
भले ही उनके जीवन में बहुत कुछ है l इतना होने के बावजूद भी उन्हें परेशान और बेचैन रहना ही हैl
ऐसा व्यक्तित्व एक पिता का भी हो सकता है, जिसके घर में सब ठीक है, बेटा किसी कम्पनी में जॉब करता है और अपनी पत्नी के साथ दूर किसी शहर में रहता है ; बेटी या बेटियों की शादी हो चुकी है और वह स्वयं अपनी इच्छा से अपने पुश्तैनी गांव में अपनी पत्नी के साथ  रहता हैl  
वह अपने बेटे से अब भी यही उम्मीद करता है कि वह अपने सारे कार्य उनसे पूछ पूछ कर करे  यदि कोई बड़ी वस्तु घर में खरीद कर लानी है तो उनसे ही परमिशन लेंl
यदि आप भी ऐसे पिता हैं तो कृपया अपने बेटे को स्वतन्त्र ही रहने दीजियेl
उसे अपना जीवन उसके  अनुसार ही जीने दीजिये l
मैं अब आपको ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताता हूँ जो  एक महिला हो सकती है, जिन की शादी दो तीन वर्ष पूर्व ही हुई हैl जब कोई लड़की शादी होने के कारण अपने सास व् ससुर के घर आती है तो उसे अपने जीवन में कुछ बदलाव लाने होते हैंl उसे अब दूसरों की सोच  और अपनी सोच में ताल -मेल या समन्वय स्थापित करना होता हैl
यदि वह ऐसा नहीं करेगी तो परेशान ही रहेगीl
कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिन्हे अशांति पैदा करने में ही मज़ा आता हैl
प्रिय पाठको आप हैरान होंगे कि इस दुनियां में ऐसे व्यक्तित्व बहुत हैंl


(अभी शेष है ...)

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