Welcome to "Nurturing Minds," a transformative blog dedicated to exploring the intricacies of mental health and guiding you toward holistic well-being. With compassion, understanding, and evidence-based insights, we aim to empower individuals like you to navigate mental health challenges and discover the paths that lead to personal growth and fulfillment. Our blog delves into a wide range of topics, shedding light on various aspects of mental health and providing practical
मंगलवार, 14 अप्रैल 2020
रविवार, 5 अप्रैल 2020
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
Why People Break Discipline? ऐसा क्यों हो रहा है...?
अनुशाशनहीनता क्या होती और यह मानव जाति का कितना नुक्सान कर सकती है , इसकी जीती जागती मिसाल आज हम सब के सामने है!
न केवल हिन्दुस्तान में अपितु विदेशों में भी इसके उदाहरण मिल रहे हैंl
अनुशाशनहीनता के जो तुरंत या दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं, वे ही हम सब को अनुशाशन कायम रखने की शिक्षा देते हैंl
जब यह घोषणा कर दी गयी कि हम सब को कोरोना वायरस कोविड 19 को समाप्त करने के लिए अपने अपने घरों में ही रहना है, तो क्यों इस आदेश एवं करबद्ध विनती का सम्मान नहीं किया जा रहा? क्या इस लिए ऐसा किया जा रहा है कि देश के प्रधान मंत्री को किसी पार्टी से सम्बंधित होने के विचार से देखा जा रहा है?
अरे देश-वासियो, विषम परिस्थितियों में भी आप यदि राजनीति के रंग में रंगे हुवे हो, तो ऐसा लगता है कि ईश्वर भी शायद यह देख कर दुखी हो रहे होंगे कि मानव जाति यह किस दौर में पहुँच चुकी है कि सच्चाई इन्हे दिखाई नहीं दे रही है...l मौत आज गली- गली प्रत्येक मोहल्ले में घूम रही है कि कब किस को अपना शिकार बनाया जाये!
मौत को आमंत्रित करने वाले मानव जाति के ही कुछ लोग हैं जो शायद किसी दानव परम्परा से कहीं न कहीं जुड़े हुवे हैं l
जब- जब प्रकृति के साथ खिलवाड़ होता है, प्रकृति किसी न किसी रूप में हम सब को दण्डित करती हैl
यह और बात है कि प्रकृति का डंडा शायद बहुत से लोगों को दिखाई नहीं देता और वे यह बात जब तक मानने को तैयार नहीं होते जब तक उनका कोई संबधी या पडोसी इस दंड का शिकार नहीं होताl
कुछ लोगों के कर्मों की सजा एक पूरी नस्ल को भोगनी पड़ जाती है l
आज यही तो हो रहा है?
हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो कोरोना वायरस के खतरे को नहीं जान रहे क्यूंकि, क्षमा करना मुझे यह कहना पड़ रहा है कि, उनका कोई अभी इस महामारी का शिकार नहीं हुआ हैl
तभी तो आप अपने पड़ोस में देख रहे होंगे कि किस प्रकार से लोग एक दूसरे के घरों में आ-जा रहे हैं, ताष के पत्ते खेल रहे है और किट्टी पार्टी कर रहे हैंl
क्यों नहीं हम बाहर के मुल्क़ों की दुर्दशा देख कर संभल जाते?
हमारे देश में आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो टेलीविज़न को देखते तक नहीं है
उनका एक ही मकसद है --का लो, पी लो और सो लोl
उन्हें या तो बिज़नेस की पड़ी होती है या फिर गप्प गोष्ठियों में वक़्त बर्बाद करने कीl
अखबार तो क्या वे कभी टीवी पर समाचार भी नहीं सुनतेl
आप ऐसे लोगों को क्या कहोगे? आप हैरान हो रहे होंगे की क्या ऐसे भी कुछ लोग हैं? हाँ मैं जनता हूँ कुछ ऐसे लोगों को! अगर मैं जानता हूँ तो आप भी अवश्य ही जानते होंगे!
लिखने को तो बहुत था इस विषय पर , परन्तु अधिकतर लोग पढ़ते भी कम है, इस लिए यहीं समाप्त करता हूँ , यह कह कर कि ऐसी परिस्थिति में यदि लोग प्यार से नहीं मानते तो सख्ती करना ही एकमात्र विकल्प बचा सरकारों पर!
धन्यवाद!
न केवल हिन्दुस्तान में अपितु विदेशों में भी इसके उदाहरण मिल रहे हैंl
अनुशाशनहीनता के जो तुरंत या दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं, वे ही हम सब को अनुशाशन कायम रखने की शिक्षा देते हैंl
जब यह घोषणा कर दी गयी कि हम सब को कोरोना वायरस कोविड 19 को समाप्त करने के लिए अपने अपने घरों में ही रहना है, तो क्यों इस आदेश एवं करबद्ध विनती का सम्मान नहीं किया जा रहा? क्या इस लिए ऐसा किया जा रहा है कि देश के प्रधान मंत्री को किसी पार्टी से सम्बंधित होने के विचार से देखा जा रहा है?
अरे देश-वासियो, विषम परिस्थितियों में भी आप यदि राजनीति के रंग में रंगे हुवे हो, तो ऐसा लगता है कि ईश्वर भी शायद यह देख कर दुखी हो रहे होंगे कि मानव जाति यह किस दौर में पहुँच चुकी है कि सच्चाई इन्हे दिखाई नहीं दे रही है...l मौत आज गली- गली प्रत्येक मोहल्ले में घूम रही है कि कब किस को अपना शिकार बनाया जाये!
मौत को आमंत्रित करने वाले मानव जाति के ही कुछ लोग हैं जो शायद किसी दानव परम्परा से कहीं न कहीं जुड़े हुवे हैं l
जब- जब प्रकृति के साथ खिलवाड़ होता है, प्रकृति किसी न किसी रूप में हम सब को दण्डित करती हैl
यह और बात है कि प्रकृति का डंडा शायद बहुत से लोगों को दिखाई नहीं देता और वे यह बात जब तक मानने को तैयार नहीं होते जब तक उनका कोई संबधी या पडोसी इस दंड का शिकार नहीं होताl
कुछ लोगों के कर्मों की सजा एक पूरी नस्ल को भोगनी पड़ जाती है l
आज यही तो हो रहा है?
हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो कोरोना वायरस के खतरे को नहीं जान रहे क्यूंकि, क्षमा करना मुझे यह कहना पड़ रहा है कि, उनका कोई अभी इस महामारी का शिकार नहीं हुआ हैl
तभी तो आप अपने पड़ोस में देख रहे होंगे कि किस प्रकार से लोग एक दूसरे के घरों में आ-जा रहे हैं, ताष के पत्ते खेल रहे है और किट्टी पार्टी कर रहे हैंl
क्यों नहीं हम बाहर के मुल्क़ों की दुर्दशा देख कर संभल जाते?
हमारे देश में आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो टेलीविज़न को देखते तक नहीं है
उनका एक ही मकसद है --का लो, पी लो और सो लोl
उन्हें या तो बिज़नेस की पड़ी होती है या फिर गप्प गोष्ठियों में वक़्त बर्बाद करने कीl
अखबार तो क्या वे कभी टीवी पर समाचार भी नहीं सुनतेl
आप ऐसे लोगों को क्या कहोगे? आप हैरान हो रहे होंगे की क्या ऐसे भी कुछ लोग हैं? हाँ मैं जनता हूँ कुछ ऐसे लोगों को! अगर मैं जानता हूँ तो आप भी अवश्य ही जानते होंगे!
लिखने को तो बहुत था इस विषय पर , परन्तु अधिकतर लोग पढ़ते भी कम है, इस लिए यहीं समाप्त करता हूँ , यह कह कर कि ऐसी परिस्थिति में यदि लोग प्यार से नहीं मानते तो सख्ती करना ही एकमात्र विकल्प बचा सरकारों पर!
धन्यवाद!
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