रविवार, 13 दिसंबर 2020

महान कवि कालिदास

 

             महान कवि कालिदास

का नाम वे सब लोग जानते हैं जिन्हे हिंदी साहित्य में रूचि हैl

कहा जाता है कि कवि कालिदास माँ काली के भगत थे, इसलिए उन्हें कालिदास कहा जाता हैl जहाँ तक उनके जन्म का सम्बंध है उसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है,

मात्र अनुमान ही लगाए गए हैंl

कुछ अनुमान यह संकेत देते हैं कि उनका जन्म गुप्त काल में हुआ था l

इस तथ्य को बल इस बात से मिलता है कि काली दlस ने अपने नाटक 'मालविकामित्रं' में द्वितीय शंगु शाशक अग्निमित्र को इस नाटक का नायक बनाया था और अग्निमित्र ने 170  ईसा पूर्व में शाशन किया थाl

इसी प्रकार से छठी सदी में बालभट्ट ने अपनी रचना 'हर्षचरित्रम' में कालिदास का उल्लेख किया थाl

निष्कर्ष  के  रूप  में  यह माना जा सकता है कि महाकवि कालिदास का जन्म प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसवी के बीच ही हुआ होगाl

उनके जन्म-स्थान के  बारे में भी कोई प्रमाण नहीं हैl

कुछ लोगों का मानना है उनका जन्म उत्तराखण्ड में रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित कविष्ठा नमक गांव में हुआ थाl

इसी कारण भारत सरकार ने वहां पर कालिदास जी की एक प्रतिमा स्थापित की हैl

कालिदास जी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें भी प्रचलित हैंl

कहा जाता है कि अपने बाल्यकाल में वे अनपढ़ जैसे ही थे, और उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई लिखाई बाद में ही प्राप्त कीl

यह तथ्य कितना प्रेरणादायक है कि आज उन्हें हिंदी साहित्य के एक  महान  कवि का दर्जा प्राप्त हैl

राजा विक्रमादित्य के दरबार में वे नवरत्नों में से एक थेl

आज के युग में उनकी तुलना दुनियां के सुप्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपियर  के साथ की जाती हैl

उन्हें भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता हैl

कालिदास का विवाह राजकुमारी विद्योत्मा के साथ संपन्न हुआ था, जिन्होंने यह शपथ ली थी कि जो भी व्यक्ति उन्हें शास्त्रार्थ में हरा देगा, बस उसी के साथ वे विवाह करेंगीl

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने इलाक़े के सरे विद्वानों को पराजित कर दिया था, और फिर सभी विद्वानों ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए एक योजना के तहत उनके पास शास्त्रार्थ करने के लिए कालिदास को भेज दिया, जो उस समय मंद बुद्धि माने जाते थेl

अन्तः कालिदास का विवाह राजकुमारी विद्योत्मा के ही साथ हुआ और यह भी एक बहुत ही दिलचस्प कहानी हैl

राजकुमारी विद्योत्मा ने शास्त्रार्थ करते समय कालिदास से मूक भाषा में इशारों के माध्यम से कुछ प्रश्न किये थे, जिनका उत्तर कालिदास ने अपने विवेक से दिए जो सयोंगवश सही मान लिए गए,जबकि कालिदास काअभिप्राय कुछ और ही थाl

उदाहरण के तौर पर, राजकुमारी विद्योत्मा ने कालिदास की तरफ अपना खुला हाथ किया, मlनो कि वो उन्हें थप्पड़ दिखा रहीं होl

कालिदास ने ऐसा ही समझ कर उनकी ओर मुट्ठी बंद कर के दिखाई, मानो कि वे उन्हें मुक्का दिखा रहें होंl

कालिदास का मतलब भी विद्योत्मा की ओर मुक्का दिखने से ही थाl

दरअसल, विद्योत्मा कालिदास से पूछना चाहती थी  कि क्या उनकी पांचों इन्द्रियां   काबू में हैं? जब कालिदास ने उन्हें अपनी बंद मुट्ठी दिखाई तो वे समझ गयीं कि कालिदास यह कहना चाहते हैं कि उनकी पांचों इन्द्रियां काबू में हैंl

 

इसी प्रकार से राजकुमारी ने कालिदास से कुछ और प्रश्न  इशारों के माध्यम से किये और उन सब का सही उत्तर पाने पर उन्होंने अपनी पराजय स्वीकार कर ली और कालिदास से अपना विवाह कर लियाl

परन्तु कुछ ही समय पश्चात् विद्योत्मा को कालिदास के बारे में पता चल गया और इस सच्चाई को जान कर वे बहुत ही दुखी हुईl

 

उन्होंने गुस्से में कालिदास को कहा कि जब तक वे एक विद्वान कि भांति विद्या ग्रहण कर के एक विद्वान नहीं बन जाते, तब तक वे घर वापिस न आएंl

कालिदास को यह बात चुभ गयी और उन्होंने भी संकल्प ले लिया कि जब तक वे एक प्रचंड विद्वान् नहीं बन जाते, वे अपने घर लौट कर नहीं आयेंगे और यह बात सच हुईl

जब कालिदास घर वापिस आये तो वे एक महान कवि बन चुके थेl

 आज उनकी गणना दुनियां के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाती है और संस्कृत भाषा में उनका स्थान अदिव्तीय हैl

वैसे तो उनकी रचनाओं कि लिस्ट लम्बी है, परन्तु उनकी सात रचनाओं के कारण उन्हें अधिक प्रशिद्धि प्राप्त हुई है:

काव्यग्रंथ: महाकाल, रघुवंश, कुमार संभव, खंडकाल, मेघदूत और ऋतू संहार

तीन नाटक:

अभिज्ञान शाकुंतलम, मालविकाग्निमित्र व् विक्रमोर्वशीय

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