मंगलवार, 29 जून 2021

Anger-Causes & Its Different Aspectsगुस्सा-क्रोध-कारण और इसके भिन्न भिन्न स्वरूप -Gusse ke bhinn bhinn rup

 

Anger-Causes & Its Different Aspects

कहते हैं कि गुस्सा तो एक चींटी को भी जाता हैl

कहने का तात्यपर्य यह है कि गुस्सा एक सामान्य प्रतिकिर्या है, जो हम सब अपने जीवन में लगभग प्रतिदिन अनुभव करते हैंl

 

 गुस्से की भावना  एक तीव्र भावना तो होती ही  है, यह अत्यधिक नकारात्मक आवेशयुक्त भी होती है l इस लिए यह भावना गुस्सा करने वाले व्यक्ति को  और जिसके प्रति गुस्सा प्रकट किया जा रहा है, उस व्यक्ति को भी गंभीर  रूप से प्रभावित करती हैl

यह कहा जाता है कि गुस्सा एक ऐसी भयंकर अग्नि है, जो किसी भी व्यक्ति के  शरीर को  एक सुलगती हुई भट्टी के समान बना देती हैl और वह गुस्से की अग्नि केवल इंसान के अपने शरीर को नुक्सान पहुँचाती  है, बल्कि उस व्यक्ति को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है जिस पर गुस्सा प्रकट किया जाता है l

इस लिए गुस्से के कुप्रभाव से जितना अधिक बचा जा सकता है बचना चाहिएl

यदि गुस्से की भावना को गहराई के साथ समझा जाये तो यह देखने में आता है कि गुस्से के शिकार  अधिकतर वही लोग होते हैं, जिनका उस बात से कोई लेना देना नहीं होता जिसके कारण कोई व्यक्ति उन पर अपना  गुस्सा झाड़ रहा होता हैl

 जैसे कि यदि एक मीटिंग में आपके बॉस पर आपकी Company के किसी सीनियर ने गुस्सा किया तो अब आपका बॉस उस गुस्से को आपके ऊपर या किसी और पर निकलेगाl

वह इसी तलाश में रहेगा कि कब उसे आपकी या किसी और की

कोई छोटी सी गलती हाथ लग जाये ताकि वह अपना गुस्सा बाहर निकाल सकेl

खुशकिस्मती से अगर आप बच गए तो अब बॉस का गुस्सा अपने परिवार के किसी व्यक्ति पर निकलेगा  चाहे हो उसकी पत्नी  या बच्चे ही क्यों न हों!

 क्या आप जानते हैं कि गुस्सा हमारे व्यक्तित्व का प्राकृतिक हिस्सा नहीं है? जब इंसान एक बच्चे के रूप में पैदा होता है तो उस वक़्त उसे गुस्से के बारें में कुछ भी नहीं पता होताl

उस समय उसमे कुछ-एक आधारभूत एवं आवयश्यक भावनाएं तथा प्रतिकिर्याएँ एक उपहार स्वरूप पहले से मौजूद होतीं हैं जैसे कि भूख महसूस करना, रोना और कुछ अन्य प्राकृतिक किर्याएँ...l

मानवीय शरीर को अपने एक मोबाइल फ़ोन के हार्डवेयर के रूप में समझने का प्रयत्न  कीजियेl

जब आपने वह मोबाइल फ़ोन किसी दुकान से बिलकुल नया खरीदा था तो उसमें कुछ ज़रूरी ऍप्लिकेशन्स अवश्य   ही डाल कर दी गयीं होंगीl

(to be continued)

Manage Your Body-Mind- ko manage kijiye-

 

कितने  सामान  कर लिए पैदा एक छोटी सी ज़िंदगी के लिए!

दोस्तों यह शेर जिस किसी ने भी लिखा है, बहुत ख्हूब लिखा हैl

शायद इस खूबसूरत शेर को लिखने के पीछे शायर के दिमाग में कहीं कहीं भातिकतावाद का दुष्प्रभाव ही रहा होगाl

हम सब ने खुद को इस भौतिक   संसार में इतना खो दिया है की हमारे पास तो अपनों   के लिए और ही खुद के लिए, कोई समय नहीं है l प्रकृति की तो बात ही छोडो ! सुबह से देर रात तक वही भाग   दौड़  और समय होने की शिकायत!

आखिर इस सब के पीछे कौन ज़िम्मेवार है?

उपरोक्त शेर ने इस प्रश्न का जवाब बाखूब दिया है:

‘कितने   सामान कर लिए पैदा एक छोटी सी ज़िंदगी के लिए’

अर्थात हमने खुद को मैनेज नहीं किया है l

हमने अपने कार्य का शेडूल इतना व्यस्त कर लिया है की हम दो-तीन दिन का काम सिर्फ एक घंटे में खत्म करना चाहते हैंl

कसूर किसका  है ??? आपका ही ?

तो समय को अपनी सहूलियत के मुताबिक बाँट लो और उसी के अनुसार काम करो, नहीं तो भाई टेंशन में ही रहोगेl

 

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