Anger-Causes & Its Different Aspects
कहते हैं कि गुस्सा तो एक चींटी को भी आ जाता हैl
कहने का तात्यपर्य यह है कि गुस्सा एक सामान्य प्रतिकिर्या है, जो हम सब अपने जीवन में लगभग प्रतिदिन अनुभव करते हैंl
गुस्से की भावना एक तीव्र भावना तो होती ही है, यह अत्यधिक नकारात्मक आवेशयुक्त भी होती है l इस लिए यह भावना गुस्सा करने वाले व्यक्ति को और जिसके प्रति गुस्सा प्रकट किया जा रहा है, उस व्यक्ति को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैl
यह कहा जाता है कि गुस्सा एक ऐसी भयंकर अग्नि है, जो किसी भी व्यक्ति के शरीर को एक सुलगती हुई भट्टी के समान बना देती हैl और वह गुस्से की अग्नि न केवल इंसान के अपने शरीर को नुक्सान पहुँचाती है, बल्कि उस व्यक्ति को भी बुरी तरह से प्रभावित करती है जिस पर गुस्सा प्रकट किया जाता है l
इस लिए गुस्से के कुप्रभाव से जितना अधिक बचा जा सकता है बचना चाहिएl
यदि गुस्से की भावना को गहराई
के साथ समझा जाये तो यह देखने में आता है कि गुस्से के शिकार अधिकतर वही लोग होते हैं, जिनका उस बात से कोई लेना
देना नहीं होता जिसके कारण कोई व्यक्ति उन पर अपना गुस्सा झाड़ रहा होता हैl
जैसे कि यदि एक मीटिंग में आपके बॉस पर आपकी Company के किसी सीनियर ने गुस्सा किया तो अब आपका बॉस उस गुस्से को आपके ऊपर या किसी और पर निकलेगाl
वह इसी तलाश में रहेगा कि कब
उसे आपकी या किसी और की
कोई छोटी सी गलती हाथ लग जाये
ताकि वह अपना गुस्सा बाहर निकाल सकेl
खुशकिस्मती से अगर आप बच गए
तो अब बॉस का गुस्सा अपने परिवार के किसी व्यक्ति पर निकलेगा चाहे हो उसकी पत्नी या बच्चे ही क्यों न हों!
उस समय उसमे कुछ-एक आधारभूत एवं आवयश्यक भावनाएं तथा प्रतिकिर्याएँ एक उपहार स्वरूप पहले से मौजूद होतीं हैं जैसे कि भूख महसूस करना, रोना और कुछ अन्य प्राकृतिक किर्याएँ...l
मानवीय शरीर को अपने एक मोबाइल
फ़ोन के हार्डवेयर के रूप में समझने का प्रयत्न
कीजियेl
जब आपने वह मोबाइल फ़ोन किसी
दुकान से बिलकुल नया खरीदा था तो उसमें कुछ ज़रूरी ऍप्लिकेशन्स अवश्य ही डाल कर दी गयीं होंगीl
(to be continued)