बुधवार, 21 अक्तूबर 2015

आप अपने आप को कैसे जानोगे कि आप गलती पर हो ?

आपने अक्सर बच्चों को, बूढ़ों को, नौजवानों को अक्सर यह कहते सुना होगा: 
"मै जो कुछ भी कहता हूँ वह सही होता हैi"  
"आपको तो बस मुझ में ही दोष नज़र आते हैं!"
"मै हमेशा अंतरात्मा की आवाज़ सुनता हूँ....और मै जो कुछ भी कहता हूँ या करता हूँ ठीक होता है I" 
दोस्तों, क्या आपने यह जानने का प्रयत्न किया है कि आप कब गलत होते हो और कब सही?
मै यह भी मानता हूँ कि आप में से बहुत से पाठक सही भी होते होंगे और अपने आप को सही पहचानते होंगे 1 
परन्तु कुछ दोस्त शायद यह जानना चाहेंगे कि हम अपने आप को कैसे पहचानें कि हम सही हैं या गलत I
चलो प्रयत्न करते हैं आपको  यह सब बताने का 1  
आप स्वयं को तीन मापदंड पर परखिये 1  
पहला मापदंड है लीगल अथवा क़ानूनी 1 
दूसरा है सामाजिक 1 
तीसरा है नैतिक1  
यदि आप अपनी वाणी या किर्या से देश का कानून तोड़ते हो तो आप गलती पर हो 1 
यदि आप सामाजिक परम्परा या व्यवश्था तोड़ रहे हो तो भी आप गलती पर हो सकते हो 1 
'हो सकते ' शब्द का प्रयोग मैंने इस लिए किया है कि समाज कि कुछ परम्पराएँ पुरानी तथा अर्थहीन हो सकती हैं, जो आधुनिक  परिवेश में मेल न खा रही हो तो आप इस माप दंड के अनुसार ठीक हो सकते हो यदि आप तीसरे मापदंड के अनुसार भी सही हो 1 
तीसरा मापदंड बहुत ही अनिवार्य है 1 
यह नैतिक और मानवीय मूल्यों से बना मापदंड 1 
यदि आप इस मापदंड के अनुसार खरे नहीं उतरते तो आप बिलकुल गलती पर हो 1 
उदाहरण के तौर पर जब संतान अपने माता पिता या घर के बुज़ुग सदस्यों के सामने बहस कर रहे होते हैं तो एक नैतिक मर्यादा का उलंघन कर रहे होते हैं , भले ही उनका दृष्टिकोण या विचार सही भी क्यों न हो 1 
वे उस समय बिलकुल गलत हैं1  
नैतिक मूल्यों की कमी होने के कारण या इन्हे पहचानने में अनदेखी होने के कारण ही समाज में अपराध बढ़ रहे है 1 
लोग जानते हुए भी कि वे गलत काम कर रहे हैं, फिर भी वे उसी गलत मार्ग पर चल रहे होते है 1 
इसका एक कारण यह भी है कि जो लोग  ऐसा कर रहे हैं, वे जानते हैं कि कोई उन्हें देख नहीं रहा है 
या वे अपने समाज से कही दूर रह रहे है जहाँ उन्हें किसी समाज का डर  नहीं  है 1  
उन्हें पता है कि कुछ नैतिक मूल्य अगर वे तोड़ भी दें तो इस पर उन्हें कोई सजा नहीं होने वाली 1  
नैतिक मूल्यों को मानने वाला व्यक्ति  धार्मिक प्रवृति का भी होता है और यह होना भी अति आवश्यक है  1 
ऐसा व्यक्ति सदैव ईशवर से डरता है और नैतिक मूल्यों का उलंघन कभी भी नहीं करता  1  
दोस्तों मैंने  अपने विचार तो व्यक्त कर दिए  हैं, अब  आपकी  बारी  है अपनी प्रतिकिया  देने  की 1 
अपनी प्रतिकिर्या अवश्य लिखिए!   

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