Ignite Your Hidden Potential
माँ देवी सरस्वती की अपार कृपा से इंसान के मस्तिष्क में अनेकों संभावनाएं छिपी हुई हैं I
हम इन संभावनाओं को साकार कर सकते हैंI
प्रश्न यह उठता है कि कैसे?
आज का मानव भौतिक संसार में इतना अधिक लीन हो गया है कि उसके पास समय ही नहीं रहा है कि वह अपने अंदर के संसार में प्रवेश कर सके I
वह सुबह जब उठता है तो उसका चित्त अनेकों योजनाओं में डूबा होता है I
वह सोच रहा होता है कि आज उसे अमुक कार्य करना है: उसे वह कार्य भी करना हैI
यानि सुबह से शाम तक वही उधेड़ बुन!
शाम को जब वह लौट कर अपने घर आता है तो काफी थक चुका होता हैI
अपने बच्चों, पत्नी और अन्य सदयों के साथ बात करने में भी उसे परेशानी होती है क्यों कि उस बात-चीत से उसे कोई धन लाभ तो होगा नहींI
कहने का अभिप्राय यह है कि आज के मानव को उसकी अपने द्वारा पैदा कि गई उलझने व समस्याएं ही उसे अपने अंतरमन में झाँकने से रोकती हैंI
यदि मानव सुबह और शाम कुछ समय अपने लिए निकाले और और पूर्ण एकाग्र मन से माँ सरस्वती के ध्यान में लीन होकर बैठ जाये तो वह अपने व्यकित्त्व का विश्लेषण कर सकेगा I
उसे अपने अंदर अनेकों दोष दिखाई देने लग जायेंगेI
ये दोष मानव सुबह से शाम तक अपने बाहरी संसार में अधिक व्यस्त होने के कारण तथा अपने चरित्र में नैतिक मूल्यों कि कमीं होने के कारण बढाता जाता हैI
जब मानव सुबह और शाम एकाग्र मन से बैठेगा तो उसे चाहिए कि वह सर्वप्रथम उन दोषों को दूर करना शुरू कर देI
जब अधिकतर दोष दूर होने लग जायेंगे तो उसे अपने अंदर छिपी अपार सम्बवनयों का भी ज्ञान होना आरम्भ हो जायेगा ...I (अभी शेष है )
माँ देवी सरस्वती की अपार कृपा से इंसान के मस्तिष्क में अनेकों संभावनाएं छिपी हुई हैं I
हम इन संभावनाओं को साकार कर सकते हैंI
प्रश्न यह उठता है कि कैसे?
आज का मानव भौतिक संसार में इतना अधिक लीन हो गया है कि उसके पास समय ही नहीं रहा है कि वह अपने अंदर के संसार में प्रवेश कर सके I
वह सुबह जब उठता है तो उसका चित्त अनेकों योजनाओं में डूबा होता है I
वह सोच रहा होता है कि आज उसे अमुक कार्य करना है: उसे वह कार्य भी करना हैI
यानि सुबह से शाम तक वही उधेड़ बुन!
शाम को जब वह लौट कर अपने घर आता है तो काफी थक चुका होता हैI
अपने बच्चों, पत्नी और अन्य सदयों के साथ बात करने में भी उसे परेशानी होती है क्यों कि उस बात-चीत से उसे कोई धन लाभ तो होगा नहींI
कहने का अभिप्राय यह है कि आज के मानव को उसकी अपने द्वारा पैदा कि गई उलझने व समस्याएं ही उसे अपने अंतरमन में झाँकने से रोकती हैंI
यदि मानव सुबह और शाम कुछ समय अपने लिए निकाले और और पूर्ण एकाग्र मन से माँ सरस्वती के ध्यान में लीन होकर बैठ जाये तो वह अपने व्यकित्त्व का विश्लेषण कर सकेगा I
उसे अपने अंदर अनेकों दोष दिखाई देने लग जायेंगेI
ये दोष मानव सुबह से शाम तक अपने बाहरी संसार में अधिक व्यस्त होने के कारण तथा अपने चरित्र में नैतिक मूल्यों कि कमीं होने के कारण बढाता जाता हैI
जब मानव सुबह और शाम एकाग्र मन से बैठेगा तो उसे चाहिए कि वह सर्वप्रथम उन दोषों को दूर करना शुरू कर देI
जब अधिकतर दोष दूर होने लग जायेंगे तो उसे अपने अंदर छिपी अपार सम्बवनयों का भी ज्ञान होना आरम्भ हो जायेगा ...I (अभी शेष है )
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