यूँ होता तो यूँ होता, यूँ होता तो यूँ होता!!!
कई बार जीवन में ऐसा लगता है कि मन उचाट है, यानि मन बेचैन है!
कोई भी काम आरम्भ करो, मन उस कार्य पर एकाग्र ही नहीं होता १
आराम करने के लिए लेट जाओ, तब भी शरीर और मन में समन्वय नहीं बन पा रहा होता है १
भले ही आप किसी भी व्यवसाय में हों या न भी हो १
आप एक विद्यार्थी भी हो सकते हैं१ आप अपनी पुस्तक खोलते हैं, पढ़ने में मन एकाग्र नहीं हो पा रहा है १
ऐसे में क्या किया जाये ?
मुझे ऐसी अवस्था में वे लोग भी याद आ रहे हैं जिनको मैंने देखा है कि वे हर अवस्था में परेशान ही रहते हैं १ परेशान रहना उनकी आदत बन जाती है १
यदि आप उनसे उनके बारे में पूछो कि वे कैसे हैं तो उनका एक ही उत्तर होता है:
"बस यार सुबह से अब तक परेशान ही हूँ !"
यदि आप उनका हाल चाल पूछो तो कहेंगे: "बस ठीक हूँ, वक़्त को धक्का दे रहा हूँ १"
अब आप यह सोच रहे होंगे कि मै इन लोगों के बीच में से कैसे निकलूंगा और आप को आगे कोई समाधान बताऊंगा या नहीं !
मै बस इतना बताना चाहता हूँ कि इस प्रकार कि स्थिति कभी-कभार शायद हम सब के साथ भी उत्पन्न होती है १
ऐसे में मेरा अनुभव तो यह कहता है कि उस समय जब आप बेचैन हो तो कुछ भी कार्य जो रुका हुआ है उसे करने लग जाओ १
यदि कार्य नहीं करना है तो आप घर से बाहर निकलो और लोगों से मिलो या घूमने निकल जाओ१
आप अवश्य ही बेहतर अनुभव करोगे १
कई बार घर में कैद होना भी मायूसी पैदा करता है १
यदि आप विद्यार्थी हैं और पढाई करने में आप का मन नहीं है तो दोस्तों के साथ बातें कीजिये या अन्य कार्य जो आपका मन बहलाये १
परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपना मन बहलाने के लिए बाहरी दुनियां में इतने खो जाओ कि आप अपने लक्ष्य को भूल कर उसी संसार में लीन हो जाओ जिसका उद्देश्य केवल यही है: 'खा लो, पी लो, गप्पें हांक लो और सो जाओ!'
यह उदेश्श्य प्रगतिशील मानव का नहीं हो सकता १
आप रिलैक्स होने के लिए थोड़ी देर के लिए यथार्थ कि दुनियां से दूर जा सकते हो, परन्तु आप को हर हाल में इस धरा के तल पर अपने पांव रखने हैं और खो जाना है यथार्थ की दुनियां में अपने उद्देश्य को पूरा करने में १
मुझे इस सन्दर्भ में अमेरिका के एक महान कवि Robert Frost की प्रसिद्ध पक्तियां याद आ रही हैं:
'Woods are lovely, dark and deep,
And I've my promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep!'
परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपना मन बहलाने के लिए बाहरी दुनियां में इतने खो जाओ कि आप अपने लक्ष्य को भूल कर उसी संसार में लीन हो जाओ जिसका उद्देश्य केवल यही है: 'खा लो, पी लो, गप्पें हांक लो और सो जाओ!'
यह उदेश्श्य प्रगतिशील मानव का नहीं हो सकता १
आप रिलैक्स होने के लिए थोड़ी देर के लिए यथार्थ कि दुनियां से दूर जा सकते हो, परन्तु आप को हर हाल में इस धरा के तल पर अपने पांव रखने हैं और खो जाना है यथार्थ की दुनियां में अपने उद्देश्य को पूरा करने में १
मुझे इस सन्दर्भ में अमेरिका के एक महान कवि Robert Frost की प्रसिद्ध पक्तियां याद आ रही हैं:
'Woods are lovely, dark and deep,
And I've my promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep!'
यदि आप गृहणी हैं तो प्रयत्न कीजिये कि आप अपने पति व् बच्चों के साथ कहीं घूमने चले जाएँ १
कहने का तात्पर्य यह है कि आप अपना मनोरंजन कीजिये १
आप उदास इस लिए हैं कि प्रतिदिन की दिनचर्या से आप उक्ता गए हैं , आप इसमें कुछ नया कीजिये जिससे दिनचर्या दिलचस्प हो जाये १
यदि आप किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो उसका समाधान निकालिये यदि ऐसा कुछ आप कर सकते हैं १
यदि आप के पास उस समस्या का कोई समाधान नहीं है तो उसे ईश्वर के हवाले कर दीजिये और भूल जाइये उस के बारे में १
जो भी होगा अच्छा होगा १ बस यह मान लीजिये!
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