मंगलवार, 24 नवंबर 2015

विद्यार्थी और शारीरिक दंड: Students and Physical Punishment

नमस्कार दोस्तों!
आज गुरु नानक देवजी के जन्म दिवस पर सब को बधाई!
कई दिनों से हिंदी में कुछ लिखने की सोच रहा था, आज सवेरे कुछ विद्यार्थियों की पोस्ट पर शारीरिक दंड के बारे में अपनी टिप्पणी लिख रहा था तो सोचा इसी विषय पर मैं अपने कुछ विचार आप सबके लिए लिख दूँ १
परन्तु मैं यह भी चाहता हूँ कि आप अपने विचार भी टिप्पणी के रूप में गूगल प्लस पर अवश्य लिखें १
दंड का प्रावधान समाज में सदियों से चलता आ रहा है १ गुरु अपने शिष्यों को शारीरिक दंड सकारात्मक ढंग से सदैव देते रहे हैं ताकि विद्यार्थी के मन में शारीरिक दंड से उत्पन्न होने वाली असुविधा या पीड़ा का आभास हो और वह उसके मन में उस दंड का भय हो १
फलस्वरूप वह विद्यार्थी भविष्य में अपनी गलती न दोहराये१
एक ज़माना था जब कुछ अभिभावक अध्यापक को यह कहने आते थे कि आप बच्चों में सुधार लाने के लिए शारीरिक दंड अवश्य दीजिये१
परन्तु बदले की भावना के कारण और विद्यार्थियों को ट्यूशन के लिए विवश करने के लिए कुछ अध्यापकों ने शारीरिक दंड का प्रयोग किया है जिसके कारण इस प्रथा पर पाबन्दी लग चुकी है १
मेरा यह मानना है कि पाबन्दी अभिभावकों पर घर में बच्चों को शारीरिक दंड देने पर भी होनी चाहिए ताकि बच्चे दोनों जगह शैरीरिक दंड  के भोगी न बनें १
होना तो यह चाहिए कि हम सब बिना किसी भय के अपना कार्य निष्ठां से करते जाएँ १
परन्तु आप सब जानते हैं कि अधिकतर लोग दबाव और भय  में अपने कर्तव्यों के प्रति अधिक सक्रिय होते हैं १
जब  ट्रैफिक पुलिस अधिक सख्त और सक्रिय हो जाती है तो लोग नियमों का अनुपालन भी करने लग जाते हैं १
हमारे बच्चे भी तो यही सब देख और महसूस कर रहे हैं १ जब हम बड़े लोग भी अपने कार्यों में टालमटोल करते हैं, नियम तोड़ रहे होते हैं तो बच्चे ऐसा क्यों नहीं करेंगे ?
घर में माता पिता बच्चे को डरा धमका कर अपना कार्य तो करवा लेते हैं परन्तु जब अध्यापकों को अपना दिया हुआ कार्य करवाने की बात आती है तो उन्हें कोई डराए या धमकाए भी न?
दोहरे मापदंड हैं ये!
आज विद्यालयों में अध्यापकों के लिए बच्चों को पढ़ाना अति कठिन हो गया है १
कुछ विद्यार्थी अपनी उदंडता दिखाते ही रहते हैं : अध्यापक उन्हें क्लास से बाहर निकालता रहता है और वे विद्यार्थी इसमें भी आनंद का अनुभव करते रहते हैं १ बहुत से बच्चे अपना कार्य नियमित रूप से नहीं करते ,न ही वे अपनी पुस्तकों और कापियों का ध्यान रखते हैं.....उन्हें कैसे सुधारे...........???

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